Saturday, 26 September 2020

बिहार की चुनाव

 पुरे पाँच साल भर नेता जी,

 अपना  मुँह दिखलाते नहीं।

 किये हुए वादे कभी भी,

 चाह कर भी निभाते नहीं।


 चुनाव के वक्त पर नेता जी,

 वोट माँगने आ जाते है।

 गरीबों को गले लगाकर,

 अपनी बातों में बहलाते है।


 गाँव - गाँव मे घुमकर नेता जी,

 बड़े - बड़े वादे कर देते है।

 भोली - भाली जनता को बहलाकर,

 उनसे वोट ले लेते है।


 जब वे जीत जाते है,

 आश लगयी बैठी जनता।

 खुशी के गीत गाते है।

 तब बुरी व्यवहार करते उनकी प्रवक्ता।


 इसीलिए सोच - समझकर,

 वोट हमे देनी चाहिए।

 जो हमारे सपनों की करें कदर।

 उनको ही चुनाव मे जितानी चाहिए ।

                                                 -- निरज यादव

Published in Anthology

                     

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यह कविता 2020  मे बिहार में हो रही चुनाव के उपर लिखी है।मै चाहता हुँ कि बिहार की जनता एक अच्छे नेता को मुख्यमंत्री बनाये। अगर आपको यह कविता अच्छी लगी हो तो सभी को शेयर जरूर करें। 

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अब से मै हर रविवार  को एक कविता पोस्त करूंगा।



मेरा परिचय:

मै बिहार के मोतिहारी जिले के नयकाटोला गाँव से हुँ। मै एक पुस्तक का लेखक भी हो चुका हुँ। 

मेरा पुस्तक का नाम है “कविताएँ कोरोना काल की" इस पुस्तक को आप जरूर पढ़े। यह Amazon पर उपलब्ध हैं। और Reviews देना मत भुलियेगा।


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Thursday, 24 September 2020

My thought-2


📜📜📜📜📜📜📜📜      भगवान हमेशा ही हमारे साथ रहते है, 

बल्कि हमे अपना साथ कभी नहीं छोड़नी चाहिएं।

                       🖋️निरज यादव

📜📜📜📜📜📜📜📜


मेरी अन्य भी कविताएँ पढ़े......

  • समय
  • लॉकडाउन मे गाँँव हमें बुला रही 
  • My thought in english.

मेरे द्वारा रचित पुस्तक को जरूर पढ़े...

“कविताएँ कोरोना काल की”

Wednesday, 23 September 2020

My thought

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Proudness is must but over proud will always bring to the ground

                                                 -- Niraj Yadav

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Saturday, 19 September 2020

समय

             समय का सम्मान करो,
             वरना दु:ख भरी गीत गाते रहोगे।
             समय से पहले अपना काम करो,
             वरना तुम पछताते रहोगे।

             समय केवल घड़ी को ही नहीं चलाता,
             बल्कि हमको भी चलाता है।
             टिक-टिक का आवाज़ करके वो शोर नहीं मचाता,
             बल्कि हमे सतर्क कराता है

 
              घड़ी तो अपने आप ख़राब हो जाते हैं।
              लेकिन समय को हम ख़राब कर देते है।
              घड़ी को तो हम सुधार देते है।
              लेकिन समय को सुधार नहीं पाते हैं।
                                        
                                               ---   निरज यादव



मेरे द्वारा रचित पुस्तक को जरूर पढ़े
“कविताएँ कोरोना काल की”

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गमछा

इस गमछे की एहमियत हमें बचाये रखना है। दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न रहे? गमछा सदा लगाये रखना है।