हमे गर्व है कि हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है। और आज हिन्दी भाषा की प्रयोग कई देशों - विदेशों मे की जा रही हैं।
लेकिन हमें यह जानकर अफसोस होती हैं कि हमारे भारत के कई शहरों के लोगों को हिन्दी भाषा बोलने मे कठिनाई होती है।
पर इस बात की उतनी अफसोस नही कि उन्हें हिन्दी बोलने नहीं आती।
अफसोस तो इस बात की है कि वे कभी हिन्दी सिखना ही नही चाहते।
उन्हे तो अंग्रेजी या अन्य भषाओं मे दिलचस्वी होती है।
मेरे लिए सब भाषा एक सम्मान है लेकिन हमें कभी भी अपनी पहचान नही भुलानी चाहिए।
हिन्दी ही हमारी पहचान है।
हिन्दी से प्यार कीजिए
हमारे राष्ट्र भाषा को अधिकार दीजिए।
मिठी स्वर में बोलकर हिन्दी को सवाँर दीजिए।
जितना प्यार करते हो भारत माता से,
उतना ही हिन्दी से प्यार कीजिए।
जल्दबाज़ी ना करें, कुछ इंतिज़ार कीजिए।
एक बार में ना हो तो बार-बार कीजिए।
कम-से-कम आज तो अंग्रेजी छोड़कर,
हिन्दी से प्यार कीजिए।
अपने हिन्दी की बोल सुधार कीजिए।
हिन्दी को अपने दिल मे उतार लीजिए।
जब दिल में हिन्दी बस जाये तो फिर,
हिन्दी से प्यार कीजिए।
हिन्दी पढ़े-लिखों से अच्छा व्यवहार कीजिए।
हिन्दी सिखाकर अपने बच्चों को अच्छा संस्कार दीजिए।
जितना प्यार करते हो अपने तिरंगे से,
उतना ही हिन्दी से प्यार कीजिए।
पढ़-लिखकर भारत में ही कारोबार कीजिए।
अपने ज्ञान से भारत में ही कुछ तैयार कीजिए।
जितना प्यार करते हो उस भारत के सैनिकों से,
उतना ही हिन्दी से प्यार कीजिए।
निवेदन है एक बार दिल से विचार कीजिए।
हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा है उसको स्वीकार कीजिए।
तब जाकर अपने होश -हवास में ,
हिन्दी से प्यार कीजिए।
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