Wednesday, 31 August 2022

रुकना नहीं है अब

रुकना नहीं है अब

अपने पैरों को समझा दो, 
अपने मन को मना दो।
कि रुकना नहीं है अब, 
कि झुकना नहीं है अब।

हरेक दर्दों को सहते चलो, 
नीर की तरह तुम भी बहते चलो।
निराश नहीं होना है अब, 
आस नहीं खोना है अब।

तेरे सामने आलस का पहाड़ होगा, 
जीत लोगे जंग अगर तुझमें शेरों का दहाड़ होगा।
ठान लो कि अधिक नहीं सोना है अब, 
ना ही परास्त पर रोना है अब।

मंजिल का सफ़र हमेशा जारी रखो, 
अकेले मत रहो, दोस्ती-यारी रखो।
भीड़ में छूटना नहीं है अब, 
अपने भाग्य से रुठना नहीं है अब।

©Niraj Yadav

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