चारों ओर हरियाली है,
हे प्रभु यह तेरी महिमा निराली है।
खेतों मे सरसों के फुल खिल रहे हैं,
मानो आपस मे गले मिल रहे हैं।
कहीं रहड़, मुँग तो कहीं खेसारी है,
यहाँ के बच्चें बहुत आज्ञाकारी हैं।
यहाँ कोयल की मधुर आवाज़ सुनाई देती है,
यहाँ हर घर मे डलियाँ बनाई जाती है।
गाय के गोबर से आँँगन की लिपाई होती है,
उस आँगन में तुलसी की पूजा होती है।
वह आँगन स्वर्ग - सा बन जाता है,
उस आँगन मे देवी - देवता का वास हो जाता है।
इस पवित्र मिट्टी को तुम छोड़कर मत जाना,
जाना तो जाना लेकिन तुम लौटकर जरूर आना।
इस गाँव में बढ़े-बुजुर्ग रहते हैं,
ख़ुद से ज्यादा दुसरों के लिए जीते हैं।
इनके जैसा ना मिलेगा कोई और कहीं,
सुख और आनंद तुम्हें सब मिलेगा यहीं
चाहें जहाँ भी हम रहें,
अपने गाँव को याद करते रहें।
हमारा गाँव हमारी पहचान है,
जन्म लिये है जहांं वो मांं समान हैं।
जो अपने गाँव को भुला देता है।
मानो वो अपने माँ को रूला देता है।
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