Wednesday, 26 May 2021

Back cover of book

हम जानते हैं कि चाहें हम जितना भी कोशिश कर लें मगर माँ का कर्ज कभी भी नहीं चुका सकते। लेकिन हम इतनी कोशिश जरूर कर सकते है जिससे हमारी माँ के चेहरे पर मुस्कान आ जाए।

और यह साझा-संग्रह (प्यारी माँ) एक हमारी छोटी-सी कोशिश है अपने माँ को खुश करने की और उसके चेहरे पर मुस्कान लाने की।

इस साझा-संग्रह में कुल 31 सह - लेखकों एवं लेखिकाओं ने मिलकर अपने शब्दों और विचारों से माँ के उपर रचनाएं रचि हैं। और इस पुस्तक को निरज यादव ने संकल किया है। और पियंका महंत जी ने शुद्धिकरण किया है. इस पुस्तक में हर रचना माँ के विषय पर ही है। और आपको यह पुस्तक पढ़ने में इतना आनंद आएगा वो हम बता नहीं सकते।

तो देर किस बात की? आज ही औडर करें और इस पुस्तक को अपने घर मंगाए।

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गमछा

इस गमछे की एहमियत हमें बचाये रखना है। दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न रहे? गमछा सदा लगाये रखना है।