Friday, 28 May 2021

My Quote

उन्नति की ओर पड़ा हमारा क़दम।

शहर में आकर शहरी बन गए हम।

अपने गाँव को ही शहर बना दें,

इतना किसी में नहीं था दम।



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क़दम= पैर, पदचिन्ह।

और

कदम= कदंब का पेड़

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सपने हम हज़ारों देखते हैं, 

और सभी सपनों को साकार करते हैं पिता। 

जब हम खुश होते हैं, 

तो हमसे भी ज़्यादा मुस्कुराते हैं

 पिता।

 -Author Niraj Yadav

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सारा जीवन आपने खेतों में हल चलाया। 

खून और पसीना बहा के, 

आपने मेरा कल बनाया। 


🙏🙏🙏🙏🙏


ना जात,  ना धर्म देखता हूं। 

मैं कवि हूं, सिर्फ कर्म देखता हूं। 


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गमछा

इस गमछे की एहमियत हमें बचाये रखना है। दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न रहे? गमछा सदा लगाये रखना है।