Sunday, 2 May 2021

कुछ ना कुछ बात होती है


कुछ ना कुछ बात होती है



शहर में भी धोबी घाट होती है।

कड़ी धूप में भी बरसात होती है।

हर एक कवि की कविता में, 

कुछ ना कुछ बात होती है।


एक ही दुनियाँ में कहीं दिन तो कहीं रात होती है।

कोई दु:ख झेलता तो किसी के ऊपर खुशियों की बरसात होती है।

कहीं कुछ हो या ना हो, पर हर कवि के अन्दर।

कुछ ना कुछ बात होती है।


राजनीति में तो हमेशा धर्म और जात होती है।

चुनाव में सिर्फ और सिर्फ बात होती है।

नेता कुछ करें या ना करें लेकिन हर कवि के अन्दर,

कुछ ना कुछ बात होती है।


जीवन की पढ़ाई माता-पिता से ही शुरुआत होती है।

हमारे शिक्षक ही हमारे क़लम की दवात होती है।

शिक्षकों की डांंट और बात सुनकर बनते है हम कवि,

और हमारे अन्दर भी कुछ ना कुछ बात होती है।


मरने के बाद हमारी जगह श्मशान घाट होती है।

गुलाब के फूलों में हमेशा काँटे होती है।

हमेशा गमकने के लिए एक कवि में,

कुछ ना कुछ बात होती है।


 

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