Sunday, 23 May 2021

मैं कवि हूं, लिखना मेरा कर्म है।

सच को सच कहूं, झूठ को झूठ,

यही मेरा धर्म है।

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गमछा

इस गमछे की एहमियत हमें बचाये रखना है। दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न रहे? गमछा सदा लगाये रखना है।