Monday, 18 April 2022

मैं ठान लिया हूँ

कुछ अलग करना है अब मुझे,
मैं यह ठान लिया हूँ।
अभी पहुंचा नहीं हूँ मंजिल पर,
अभी तो बस उड़ान लिया हूँ।

कोई साथ नहीं देता मुश्किलों में,
मैं यह जान लिया हूँ।
अब अकेले ही चलूँगा अपनी मंजिल की ओर,
मैं यह ठान लिया हूँ।

चल पड़ा हूँ अब मैं,
झोली भर के अरमान लिया हूँ।
कुछ अलग करना है अब मुझे,
मैं यह ठान लिया हूँ।

― Author Niraj Yadav
(Bhopatpur Nayakatola, Motihari: Bihar)

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इस गमछे की एहमियत हमें बचाये रखना है। दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न रहे? गमछा सदा लगाये रखना है।